यह उन दिनों की बात है...जब हम छोटे बच्चे थे...
होठों पर सच्ची मुस्कान थी,
वह मिट्टी के बड़े महल अच्छे थे
यह उन दिनों की बात है...
जब हम छोटे बच्चे थे...
जब थोड़ी मिठाई कुछ ही खिलौने हमारी हंसी को जताते थे,
कौन जीता, कौन हारा हम ही सभी को बताते थे,
सूरज का उजाला नहीं पापा मम्मी हमें जगाते थे,
यह उन दिनों की बात है...
जब हम छोटे बच्चे थे...
वह पकड़ा पकड़ी के खेल में नियम अपने होते थे,
जब बहन भाई के बीच में रोज झगड़े होते थे,
वह सब पर अपनी हुकूमत...
पर शब्द हमारे...