तू भी सम्भल जायेगी.....
मानता हूँ
कुछ दिन लडखडाएगी... पर
यही जींदगी है
एकदिन तू भी सम्भल जाऐगी...!
एकदिन तुझसे खाया नही जाएगा
नींद उडेगी और सोया नही जायेगा
जींदा हूँ तो मिलने की तडप उठती है
मौत की खबर तसल्ली दे जायेगी
एकदिन तो तुम भी सम्भल जायेगी..!
सुबह भी होगी शाम भी होगी
देखते देखते रात गुजर जायेगी
भोर की...
कुछ दिन लडखडाएगी... पर
यही जींदगी है
एकदिन तू भी सम्भल जाऐगी...!
एकदिन तुझसे खाया नही जाएगा
नींद उडेगी और सोया नही जायेगा
जींदा हूँ तो मिलने की तडप उठती है
मौत की खबर तसल्ली दे जायेगी
एकदिन तो तुम भी सम्भल जायेगी..!
सुबह भी होगी शाम भी होगी
देखते देखते रात गुजर जायेगी
भोर की...