...

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तडपता ही रहा - गजल
ये मोहब्बत का नशा एक बार चढा तो चढता ही रहा
मै जिन्दा तो सिर्फ कहने को हर रोज मरता ही रहा

इश्क जो किया मैने बेइन्तहा आपसे हर दफा
आपकी मोहब्बत के लिए हर रोज तडपता ही रहा

मै तबाह उदास ही रहा जश्न-ऐ-मयखाने मे
हर दफा आपकी मोहब्बत को मै तरसता ही रहा

आप तो आबाद रहे इस दुनिया मे,मै तडपता ही रहा
'प्रेम' आपकी मोहब्बत मे जिन्दा हर‌‌ रोज मरता ही रहा।
© Premyogi
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