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बसंत पंचमी होली का आगमन
प्रकृति करके नव श्रृंगार
पुलकित हर्षित आकर्षक तैयार!!
वसंत सजकर ऋतु राज बयार
हृदय को भी सजाने आया आधार!!

पलाश टेसु के अंकुरित पल्लव
हे! वसंत राजकुमार खिला देना
चेहरे से उतरकर दिल के द्वार !!
नैनों की आस बुझे मन में....
प्रेम की दीप जलाई हैं!!

ऋतुराज में मदमस्त हैं चाल
बसंत आने में लगे हैं साल!!
धूमिल मन हृदय की बात,,
तुम जीवन से दुःख दो छांट !!

अब बारी तुम्हें दिल में सजाना हैं
दो दिलों की मिलन राग गाना हैं!!
हृदय तल पर तुम्हें अमिट छाप
प्रेम राग गुनगुनाना हैं!!