...

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मेरी हर सांस तेरी हो
तुझे देखूं, तुझे सोंचू, तू ही बस याद आता है
है ऐसा यार क्या तुझमें, जो दिल को इतना भाता है
तेरे सपने, तेरे किस्से, तेरी ख्वाइश, तेरा चेहरा
किसी धुन सा, मेरे कानो में घुलकर खो सा जाता है
तेरी कमियां, तेरी गलती, तेरा सब अपना लगता है
तू हंस के देख लेता है, तो गम खुशियों सा लगता है
तेरी मंज़िल मेरे रास्ते, मेरे ख्वाबों में तेरे ख़्वाब बसते
तू आती है मेरे जब सामने, मेरे अरमान मुझको पास लगते
करूं कोशिश, तुझे हर रोज़ अपने पास लाने की
तेरा हो जाऊं मैं सारा, तुझे अपना बनाने की
तेरे बातों के लम्हों में, मैं खुद ही खो सा जाता हूं
किसी लोरी सी लगती तू, मैं तुझमें सो सा जाता हूं
रहूं बस साथ तेरे, पकड़कर हांथ तेरा
तेरे संग रोज़ देखूं, नया उगता सवेरा
मेरे सब गीत तेरे हों, मेरी हर नज़्म तेरी हो
मेरी खुशियां सभी तेरी, मेरी हर रस्म तेरी हो
तू मेरी हो या ना हो इस जनम में, चाहकर भी
मगर मैं सांस जब भी लूं, तो हर एक सांस तेरी हो
मेरी आंखों से जब, धुंधला दिखे हर एक चेहरा
तो मन में एक दफा बस देखने की, आस तेरी हो
मेरी हर सांस तेरी हो, मेरी हर सांस तेरी हो.....
© Er. Shiv Prakash Tiwari