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दर्पण प्रतिबिम्ब
#दर्पणप्रतिबिंब

वक्त ने कुछ वक्त दिया तो ख़ुद को दर्पण में निहार रही हूंँ,

दर्पण प्रतिबिम्ब देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही हूंँ।


ख़ुश हूँ कि जीवन पथ पर एक लम्बी दुरी ते कर के आयी हूँ,

जहांँ मेरा अंतर मन पहले हुआ करता था, वो अब नहीं है,

वक्त की कसौटी पर निखर कर आई हूंँ।


सवारा है ख़ुद को कई आत्मिक गुणों से,

बहुत सी साज सज्जा अभी बाकी है,

दर्पण ओ दर्पण ये बता क्या उन छुपे हुए गुन्नो की भी तुझमें झाँकी है?


नव निर्मित मेरी परछाई चमक रही है,

दर्पण प्रतिबिम्ब में मेरी

आभा दमक रही है।


नया जोश नई उमंग से परिपूर्ण ख़ुद को देखती हूंँ,

दर्पण प्रतिबिम्ब में ख़ुद को ओर सवरता देखती हूंँ।

देखती हूंँ अनंत संभावनाएँ ख़ुद में,

मैं ख़ुद को पल पल निखरता देखती हूंँ।
#hindipoetry #WritcoPoemChallange #motivational
© Haniya kaur