ग़ज़ल
अँधेरी शब में कितनी रौशनी थी
वो लड़की बात जब तक कर रही थी
मैं गहरे और गहरे जा रहा था
तुम्हारा जिस्म क्या था इक नदी थी
यही...
वो लड़की बात जब तक कर रही थी
मैं गहरे और गहरे जा रहा था
तुम्हारा जिस्म क्या था इक नदी थी
यही...