बोझिल है साँसें
बोझिल है साँसे आँखों में कोई ख़्वाब नहीं है,
कशमकश है मन में मंज़र की ताब नहीं है।
हिज़्र के आलम में सीने में धड़कता है शोला,
भीगी हैं पलकें फिर भी कोई सैराब नहीं...
कशमकश है मन में मंज़र की ताब नहीं है।
हिज़्र के आलम में सीने में धड़कता है शोला,
भीगी हैं पलकें फिर भी कोई सैराब नहीं...