...

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व्यक्ति की अभिलाषा
जरा सोच मेरे बंदे हमारा परिधान कैसा हो
द्वेष भरे इस संसार में व्यक्ति का आत्मसम्मान कैसा हो
अबगुण युक्त लोगों में अच्छे काम का गुणगान कैसा हो
हर एक की खुशियों के पीछे
मानवता स्वाभिमान कैसा हो
जरा सोच मेरे बंदे हमारा परिधान कैसा हो
दिखावे के मुखौंटो के बीच में खुद की पहचान का मार्ग कैसा हो
दूसरों के छीनने वालों के बीच
कोई आचरण का धनवान कैसा हो
गैरों को छोड़ अपनों को ही मिथ्या में रखने वालों में
दूसरों पर अपना सबकुछ आत्मसमर्पण करने वाला विजयवान कैसा हो
जरा सोच मेरे बंदे हमारा परिधान कैसा हो।।

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© अतुल✍️