...

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बातें दिल की....
एक दिन सुबह से मैंने कहा -
" क्या बात है , अब तेरी चमक में
वो बात नहीं है
पहले-सी तेरी किरणों में
गरमाहट नहीं है
जो लग जाती थी गले से
तो सोई ख्वाहिशें भी
जाग उठती थी
मिल जाती थी मुझसे ,
तो अधूरे में भी मुझे
पूरा करती थी। "

मेरे इन सवालों पर ,
ना झुंझलाइ वो , ना तिमतिमाई वो
बस मुस्कुराई और कहने लगी -
" मेरी चमक की रौनक तो
देखने वालों की,आँखों में बसी है
बंद आँखों से देखे, उसके ख्वाबों में बसी है
रही बात गरमाहट कि ,
तो तूने खुद ही गर्म दूध छोड़
ठंडे दूध से दोस्ती करी है
जो था नहीं कभी तेरा
उसे जिंदा रखने की जिद्दी ठानी है। "

बहस को हम भी तैयार थे
पर सुबह ना सुनने को तैयार थी
मुस्कुरा रही थी , पर आक्रोश में थी
आज सुनने की नहीं,
बस कहने की वो फ़िराक़ में थी -
" ये सच है कि,
जिंदगी का दामन तूने छोड़ा नहीं है
गिर कर संभलना तूने छोड़ा नहीं है
तभी तो रौनक तेरी चौखट की
कभी कम हुई नहीं है
बिखर कर भी लम्हों से ना तुझे
रंजिश हुई है.......
पर उम्मीद आज भी तू गलत
ही लगाए बैठी है
गलत इंसान से दिल
लगाए बैठी है
ज़रा इन आँखों के चश्मे को बदल
उस हाथ को थाम , चल कर देख
वो पहला प्यार खुद ब खुद
अफसोस से हट
भूली स्मृति बन जाएगा
यादों की एक नई किताब
लिख जाएगा,
बस मौका तू दिल को
दे कर तो देख
दे कर तो देख..."।
© nehaa