तुम और मैं..
तुम और मैं..
तुम और मैं समंदर और आसमान जैसे है, जो कही दूर जाकर मिलने की उमीद देते हैं, पर कभी मिल नही पाते...
तुम और मैं उस कविता जैसे है, जो एक लेखक आज भी पूरी करने की कोशिश में है,
तुम और में नींद और सपनों जैसे हैं, कब आंख खुल जाए पता ही नही
© A.Maryam
तुम और मैं समंदर और आसमान जैसे है, जो कही दूर जाकर मिलने की उमीद देते हैं, पर कभी मिल नही पाते...
तुम और मैं उस कविता जैसे है, जो एक लेखक आज भी पूरी करने की कोशिश में है,
तुम और में नींद और सपनों जैसे हैं, कब आंख खुल जाए पता ही नही
© A.Maryam