...

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प्रभुजी
एक प्यास प्रभुजी,
जीवन भर की एक आस प्रभुजी,
आदि से अनंत तक,तुम सच्चा प्रेम प्रभुजी,

कर्तव्यों की गूँथन जब जब खोलीं प्रभुजी,
गुँथ से गए, हम स्वयं प्रभुजी,
नाम न जाणू, गाँव न जाणू... बस भीतर ही भीतर खोजते हम तुमको प्रभुजी,
हाथ में आशीष लिये, तुम काटते हर मोह-माया बंधन प्रभुजी,
उस क्षण हम बड़े ही सहज से, तुम्हीं में होते मुक्त प्रभुजी,

हाँ बड़े अड़ियल हैं, हम,अपने मन के स्वभाव पर...प्रभुजी,
किन्तु कृपा जो आपकी हो हम पर ,तो...
अंतरआत्मा भी सहज ही बलिहार हैं, आप पर प्रभुजी,

ये नयना दीपक- बाती से जलते प्रभुजी,
झिलमिल झिलमिल तारे भी, सजाते हैं, पलकों पे, प्रभुजी,
अरी मैं तो प्रेम दीवानी भई...,
के इन चरणों की सेवा में बीते,
दिन- रैन प्रभुजी,
रह न जाये,सच्चे भावों में कोई कमी प्रभुजी,
क्योंकि...
एक प्यास प्रभुजी,
जीवनभर की, एक आस प्रभुजी।।

कविता की रचना के लिए आभार,प्रभुजी।।🌹🇮🇳🌍🐚

#prabhukarpa #Lali@9533 #poetry #philosophy #self-relation #anteraatma,ki,jaagrti #niskaamkarm #soul-nature #self-help #letter © nikita sain