...

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वो लास्ट एग्जाम के बाद
समझ नहीं आ रहा था मगर आज कुछ तो खास बात थी,
स्कूल लाइफ तो खैर खत्म हो गई आज पर … ज़िंदगी की शायद अब असली शुरुआत थी ।

स्कूल से निकलते हुए उन्हे देख लगने लगा की शायद अब से ये सूरतें फिर देखने नहीं मिलेगी
आज आखरी बार मिला था मैं अपने उन दोस्तों से जिनके साथ अब groups तो बनेंगे पर उनपर chats नहीं होगी

उस दिन कहा था उसने अरे भाई टेंशन क्यों ले रहा है यहीं मिलेंगे सभी,
मगर अब पता चला कि उसने तो कहा था कि… अब नहीं मिलेंगे कभी…

खैर छोड़ो, खुशी तो इस बात की है की फाइनली स्कूल से छुट्टी तो मिली
अब खुल कर जिऊंगा हर पल, की आखिर वो हर दिन की खिच पिच से आजादी तो मिली ।

यार… क्यों लेकिन भुलाए नहीं भूल पा रहा मैं अपने उन यारों को,
क्यों नहीं भुला रहा बार बार दिल में आती स्कूल की उन यादों को ।

अब कैसे समझाऊं इस दिल को ये दिन अब दोबारा देखने नहीं मिलेंगे
ये स्कूल के बेंचेस पर बैठे हम दोस्तों से बाते करते अब नहीं दिखेंगे।

बस एक ही बात मन को बार बार खाए जा रही है,
………
कि न जाने कब हमने चलना सीखा, न जाने कब अपने पैरों पर हम खड़े होगए,
न जाने कब १२ साल ये स्कूल के बीत गए,
और न जाने कब…हम बड़े हो गए


© Utkarsh Ahuja