मीठा जहर
अंदाजा नही था उजङ जाएगी बस्तियां
शांत ठहरे पानी में डूब जाएगी कश्तियाँ ।
बसंत आया तो है पर मन उदास सा है
फूलों पर शायद नही आएगी तितलियाँ ।
एक मीठा जहर घुल रहा है दरिया में
न जाने कब आबाद होगी जिन्दगानियाँ ।
© Rakesh Kushwaha Rahi
शांत ठहरे पानी में डूब जाएगी कश्तियाँ ।
बसंत आया तो है पर मन उदास सा है
फूलों पर शायद नही आएगी तितलियाँ ।
एक मीठा जहर घुल रहा है दरिया में
न जाने कब आबाद होगी जिन्दगानियाँ ।
© Rakesh Kushwaha Rahi