मनमें दबी आवाजें
❣❣❣❣❣❣❣❣
प्रिय मनमें दबी आवाज़ें !!
क्यों गूँज रही हो तुम
मन के अंदर ही ।
दिल के ज़ख़्मों पर रह-रह के
क्यों वार करती हो ,
अब तुम्हें संभालना
बहुत मुश्किल हो रहा है ,
अंदर ही...
प्रिय मनमें दबी आवाज़ें !!
क्यों गूँज रही हो तुम
मन के अंदर ही ।
दिल के ज़ख़्मों पर रह-रह के
क्यों वार करती हो ,
अब तुम्हें संभालना
बहुत मुश्किल हो रहा है ,
अंदर ही...