...

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मौत के गीत...
उजड़ गयी है जिंदगी, बिखर गए हैं सपने मेरे
अब न मोह रहा खुद से भी, न कोई ख्वाहिश बची है
जीता हूँ अब दुःखी दुःखी, मर भी तो नहीं पा रहा हूँ
गहरी नींद के इंतज़ार में, अब मौत के गीत गुनगुना रहा हूँ..
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