...

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सड़ता रहा किवाड़
#खोईचाबियाँ

जीवन जीने को सारी सुविधाएं बटोरा मैंने,
और सहेजे रखा उन्हें,
एक नामी रोज के लिए,
जिसकी पहरेदारी में,
तह किए रखा उन्हें,
उन कमरों में,
जिनमें दरवाजे नहीं किवाड़ होते थे,
जिनमें ताले नहीं लगे होते थे,
पर सख्त थे,
खोलना आसान नहीं था,
और जिसे खोलने के लिए,
अपनी पूरी ताकत...