...

7 views

तुम और मैं
सुनो
कल रात तुम फिर सपनों में
आई थी
खनका कर पायल अपनी
नींद मेरी भगाई थी
नर्म हाथों की छुअन तुम्हारी
अब भी मेहसूस होती है
दिल में बसी खुशबु तुम्हारी
ख़ुद बे ख़ुद रुबरु होती है
वो तुम्हारी गर्म सांसों का एहसास
वो तुम्हारा यु कसकना मेरे पास
कभी बाहों से छूट जाना
कभी ख़ुद ही उन मे सिमट जाना
मेरे लबों से लब मिलाना
फिर टूट कर एक दूजे को चाहना
सुनो
कल फिर तुम सपनों में आना
और वही एहसास फिर जगाना
© @mrblank00