साज-ए-दिल
साज़-ए-दिल में उसकी तस्वीर बसा कर ,
शब के सितारों से उसकी धुन सुनता हूँ।
ख्वाबों में उसकी रफाक़त गुलज़ार भी खिले है,
सफ़क़ देख कर बहारों से इशरत करता हूँ।
कुछ ख़ास तशरीह तो...
शब के सितारों से उसकी धुन सुनता हूँ।
ख्वाबों में उसकी रफाक़त गुलज़ार भी खिले है,
सफ़क़ देख कर बहारों से इशरत करता हूँ।
कुछ ख़ास तशरीह तो...