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मुझसे प्यार करती हो फिर क्यू इनकार करती हो
मुझसे प्यार करती हो फिर क्यू नजर अंदाज करती हो।
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मुझसे प्यार करती हो फिर क्यू नजर अंदाज करती हो।
अपनी तीखी नजरो से यह जुल्म क्यू हर बार करती हो
मैं तुमसे मिलना इस जन्म में तो क्या सातों जन्म में पाना चाहता हूं।
मैं तुम्हे अपने रोम रोम में तो क्या दिल की हर धड़कन में बसाना चाहता हूं
तुम मेरे ख्यालों में हो तुम मेरे तसव्वुर में हो
तुम मेरे सांसों में हो तुम मेरे दिल की हर धड़कन में हो
तुम हर जर्रे जर्रे में हो तुम हर लम्हों में हो
बाते तुम किसी और से करती लेकिन नजरे मेरी तरफ हुआ करती है
यह बेताबी जाने क्यू मुझे डसती है
सवाल फिर वही है जान
तुम मुझे प्यार करती हो फिर क्यू अपना नहीं मानती हो
अपने जुल्फो के साए में मुझे क्यू नही थामती हो
मेरे प्यार के एहसास को क्यू नही मानती हो
तुम्हारी आंखे...