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देवराज इन्द्र
इन्द्र को था,गुरुर,
खुद की भुजाओं पर,
अज्ञानता के अधंकार ने,
उसको अंधा बना दिया
चल पड़ा लडने श्रीकृष्ण से,
खुद को श्रीकृष्ण मानकर,
श्रीकृष्ण ने गोवर्धन का रुप ले,
घमंड को उसके तोड़ दिया
इन्द्र को एहसास हुआ,
वो नहीं श्रीकृष्ण है,
अपनी भुजाये समेटकर,
श्रीकृष्ण के नतमस्तक हो गया।"

गोवर्धन पूजा की ढेरों शुभकामनाएं।✨🌻




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