...

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ऐ जिंदगी !
ऐ जिंदगी ! सुना है तू इम्तहान बहुत लेती है,
तो सुन ले !तू भी हम पक्के खिलाड़ी है ।
ऐसे हार के नही जाएगे,
कल तक तू हमें अजमाती थी,
आज हम तुझे अजमाएगे ।
रास्तो में फूल हो या कांटे हो ,
अब उस पर हम चल के दिखाएगे ।
तुमने रोना सिखाया ना ,
हम तुम्हे हसना सिखाएगे।
तुमने हमें खोना सिखाया ना ,
हम खोकर कैसे पाया जाता है ? यह बतलाएगे।
अब तू कितना ही अजमा ले फर्क नही पड़ता ,
क्योकि अब तेरे इम्तहानो से अब डर नही लगता।