मैं
अपने ही सपनों से, समझौता करने लगा हूं मैं
भागती दुनियां के पीछे, ठहरने लगा हूं मैं
जो चाहता हूं करना, वो कर नहीं सकता अभी
इस ज़िन्दगी की जद में, क्या करने लगा हूं मैं
कोशिश जरूरी है, ये जानते हुए भी
क्यों कोशिशों से डरकर, थकने लगा हूं मैं
आसान लगती ज़िंदगी, दुश्वार है मुझे
खुद के लिए...
भागती दुनियां के पीछे, ठहरने लगा हूं मैं
जो चाहता हूं करना, वो कर नहीं सकता अभी
इस ज़िन्दगी की जद में, क्या करने लगा हूं मैं
कोशिश जरूरी है, ये जानते हुए भी
क्यों कोशिशों से डरकर, थकने लगा हूं मैं
आसान लगती ज़िंदगी, दुश्वार है मुझे
खुद के लिए...