धूप या छांव...!!!
धूप की किरनें, सुनहरी आभा में लिपटीं,
छू लें तन, मन के भीतर तक जलीं।
चमकते क्षणों में सपनों का सार,
जीवन का संगीत, हर पल बेशुमार।।१।।
छांव का आंचल, ठंडक से भरा,
सहलाए मन, थके हुए तन को धरा।
विराम की शांति,...
छू लें तन, मन के भीतर तक जलीं।
चमकते क्षणों में सपनों का सार,
जीवन का संगीत, हर पल बेशुमार।।१।।
छांव का आंचल, ठंडक से भरा,
सहलाए मन, थके हुए तन को धरा।
विराम की शांति,...