गैंगस्टर
गैंगस्टर
वह कोई आसमान से नहीं टपकता ना हीं बनता है रातों-रात
कोई घड़ा जैसे गढ़ा जाता है
अपनी काली मिट्टी और आबो-हवा से
उसे भी गढ़ा जाता है धीरे-धीरे
हल्की-फुल्की घटनाओं से
छोटे-बड़े कांड तक
जैसे छिनतई करने को
फिर नहीं देनें पर चाकू मारने को
उसे बार-बार कहना नहीं पड़ता
सीखता जाता है सारे गुर
थाने के रिकॉर्ड में
दर्ज किया जाता है
एक अदना-सा अपराधी...
वह कोई आसमान से नहीं टपकता ना हीं बनता है रातों-रात
कोई घड़ा जैसे गढ़ा जाता है
अपनी काली मिट्टी और आबो-हवा से
उसे भी गढ़ा जाता है धीरे-धीरे
हल्की-फुल्की घटनाओं से
छोटे-बड़े कांड तक
जैसे छिनतई करने को
फिर नहीं देनें पर चाकू मारने को
उसे बार-बार कहना नहीं पड़ता
सीखता जाता है सारे गुर
थाने के रिकॉर्ड में
दर्ज किया जाता है
एक अदना-सा अपराधी...