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MAA DURGA - Part 1
MAA DURGA - Part 1

नौ रूपों में दिखती भले वो
एक मां का रूप अपार है
अनेक स्थानों में बस्ती बेटी बनकर
शैलपुत्री जिनका नाम है

ब्रह्मा विष्णु महेश की छवि उनमें
हर एक का स्वरूप वो
तेज से प्रकाशित आंखें उनकी
ब्रह्मचारिणी का रूप वो

घंटो की टंकार से
गूंजाए चारों दिशाएं वो
शुंभ निशुंभ का वध करें
चन्द्रघण्टा कहलवाए वो

कमंडल, धनुष, बाण लिए
चली वो संघार को
तेज प्रताप है हर एक अंग में
कूष्माण्डा कहे उस अंगार को

मोक्ष के द्वार खोले वो
पाप के भोज को उतारे
भक्तों की इच्छाओं के लिए
स्कंदमाता को मुन्नी पुकारें

क्रोध से उत्पन्न हुई जो
चंड मुंड का वध करे
दुखियों का दर्द भगा कर
कात्यायनी सबकी इच्छा पूरी करे

काली, महाकाली, भद्रकाली
असुरों का विनाश करे
रातों का डर भगा के
कालरात्रि देवों की रक्षा करे

शिव की शिवा जो
विष्णु की प्रियतमा वो
संपूर्ण ब्रह्मांड की अधिदात्री
महागौरी महालक्ष्मी वो

सबकी इच्छा को सिद्ध करे
दानवों को भी स्वर्ग दिलाएं
देवों के देवों की परमजन्न्नी
सिद्धिदात्री स्वर्ग पहुंचाएं

जय माता दी
© firkiwali