...

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मेरी बात बीच में रह गई...!
तेरे इर्द गिर्द वो शोर था
मेरी बात बीच में रह गया,
न मैं कह सका न तू सुन सकी
मेरी बात बीच में रह गया,
मेरे दिल को जो दर्द से भर गया
मुझे बे यकीन सा कर गया
तेरे शहर में वो मेरे हमसफर
दिलजलो का बहुत ही भीड़ था
मुझे रास्ता नहीं मिल सका
मेरी बात बीच में रह गया,
वो जो ख़्वाब थे जो मेरे सामने
अरमां थे जो मेरे सामने
मैं उन्हीं में ऐसे उलझ गया
मेरी बात बीच में रह गया,
अजब एक चुप सी लगी मुझे
उसी एक पल के हिस्से में
हुआ जिस घड़ी तेरा सामना
मेरी बात बीच में रह गया,
कहीं बेकरार थी ख्वाहिशें
कहीं बेशुमार थी उलझने
कहीं आंसुओं का हुजूम था
मेरी बात बीच में रह गया,
तेरी खिड़कियों पे खुले हुए
कई फुल थे हमें देखने
तेरी छत पे चांद ठहर गया
मेरी बात बीच में रह गया,
मेरी जिंदगी में जो लोग थे
मेरे आस पास से डर गए
मैं रह गया उन्हें रोकता
मेरी बात बीच में रह गया,
तेरी बेरुखी के हिसाब में
गमें जिंदगी के फिराक में
मेरा सारा वक्त निकल गया
मेरी बात बीच में रह गया,
मुझे वहम था तेरे सामने
नहीं खुल सकेगी जुबां मेरी
सो हकीकतन भी वही हुआ
मेरी बात बीच में रह गया...
तेरे इर्द गिर्द जो शोर था
मेरी बात बीच में रह गया
न मैं कह सका, न तू सुन सकी
मेरी बात बीच में रह गया....!