फिक्र क्यों करती हो....
अब मेरी फिक्र क्यों करती हो....
जब मर ही गया मैं तो जिक्र क्यों करती हो ..
कितनी बार समझाया हालात तेरे दिल को
कमबख्त समझ ही ना पाया तो मलाल क्यों करती हो..
शायद होगा मंजूर कोई और तेरे दिल को
कर ले प्यार उसी को, ये तेरी ख़ता भी मंजूर,
पर मेरी यादों को हलाल क्यों करती हो...
मेरी इतनी सी भी कद्र ना थी तुझे मेरे प्यार की
याद करके फिर एहसान क्यों करती हो....
मिलूंगा अब यादों में मैं, रातभर मेरा इंतजार क्यों करती हो ....
झूठा ना था मैं "बारिश " प्यार मेरा सच्चा था
बन के अंजान उम्रभर ,ये मजाक क्यों करती हो ...
© ya_baarish
जब मर ही गया मैं तो जिक्र क्यों करती हो ..
कितनी बार समझाया हालात तेरे दिल को
कमबख्त समझ ही ना पाया तो मलाल क्यों करती हो..
शायद होगा मंजूर कोई और तेरे दिल को
कर ले प्यार उसी को, ये तेरी ख़ता भी मंजूर,
पर मेरी यादों को हलाल क्यों करती हो...
मेरी इतनी सी भी कद्र ना थी तुझे मेरे प्यार की
याद करके फिर एहसान क्यों करती हो....
मिलूंगा अब यादों में मैं, रातभर मेरा इंतजार क्यों करती हो ....
झूठा ना था मैं "बारिश " प्यार मेरा सच्चा था
बन के अंजान उम्रभर ,ये मजाक क्यों करती हो ...
© ya_baarish