...

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चार जून
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है

कौन बनेगा समय का साहु
ये सब वक्त के हाथ है

चाहे जितना भी तू रहे दूर
ना बदलते मेरे जज़्बात हैं

मिले ना मिले विचार हमारे
ये अपने अपने खयालात हैं




© Poeत्रीباز