प्रश्न
वो निरंतर शीशे में देखती रहीं खुद को कुछ समय पश्चात उसे आभास हुआ जैसे उसके स्थान पे कोई और वहां उपस्थित है।
शीशे में उसका स्वरूप उसे एक घुटन में जलती लड़की का परिदृश्य दिखा रहा था।जीवन में लगातार जिसे असफलता मिल रही थी।चप्पल घिसी हुई और फटी हुई थी।...
शीशे में उसका स्वरूप उसे एक घुटन में जलती लड़की का परिदृश्य दिखा रहा था।जीवन में लगातार जिसे असफलता मिल रही थी।चप्पल घिसी हुई और फटी हुई थी।...