ये जो मुझमे मैं हु।
में जिदगी से क्या चाहता हूं।
ये में नही जनता।
जिंदगी मुझसे क्या चाहती है।
ये भी में नही जनता।
में तो बस उस रह पे
चलता चला जा रहा हु।
जो दूसरे मुझे दिखाते
जा रए है।
जिस दिशा में भेड़–बकरियो की
तरह सब चलते चले जा रए है
मेरा दिमाग एक कबूतर बन कर रह गया है जो खुद से कुछ नहीं करता बस दूसरों के इशारों पर चलता है ।
मैं क्या हूं ये कोई नहीं जानना चाहता।
मैं क्या हूं ये कोई नहीं जानना चाहता।
वो बस मुझ में खुद को देखना चाहते हैं
वो बस मुझ में खुद को देखना चाहते हैं
यह जो मुझ में...
ये में नही जनता।
जिंदगी मुझसे क्या चाहती है।
ये भी में नही जनता।
में तो बस उस रह पे
चलता चला जा रहा हु।
जो दूसरे मुझे दिखाते
जा रए है।
जिस दिशा में भेड़–बकरियो की
तरह सब चलते चले जा रए है
मेरा दिमाग एक कबूतर बन कर रह गया है जो खुद से कुछ नहीं करता बस दूसरों के इशारों पर चलता है ।
मैं क्या हूं ये कोई नहीं जानना चाहता।
मैं क्या हूं ये कोई नहीं जानना चाहता।
वो बस मुझ में खुद को देखना चाहते हैं
वो बस मुझ में खुद को देखना चाहते हैं
यह जो मुझ में...