...

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मृत्यु

सच तो यही है, शोर सहा नहीं जाता -
तन्हा होकर जिया नहीं जाता ।
कशमकश जिन्दगी की,
कोई रास्ता नजर नहीं आता ।
देख नहीं किसी ने, तस्वीर डरावनी है ।
पास पास रहकर, रखती निगरानी है ।
ओझल सदा रहती है,
इंतजार किया करती है ।
वो प्रेयसी ऐसी है,
बुलाने से न आती है ।
अचानक संग ले जाती है ।
अनुबंध का है जीवन,
वो पाबंद समय की है ।
कर्मफल भुगतान बिना,
छूती तक नहीं है ।
भुगतान चुकता होते ही,
चुपचाप उठा लेती है ।
देखा नहीं किसी ने,
कैसे आ जाती है,
कहाँ लेकर जाती है ।

© Nand Gopal Agnihotri