ये जिंदगी है मेरी
ये जिदगी है मेरी ,कोई
गुलाब की पखुटी नही
जिसे तोडने पे दर्द न हो ।
काटो पे चलते - चलते
थक चुके हे अब
रोशनी की उम्मीद मै
पता नही कीतने घरे
अंधेरो में घेर रहे है खुदको ।
अब तो ये काटो पे
चलने वाले पैर
कोई गुलाब की पंखु टी...
गुलाब की पखुटी नही
जिसे तोडने पे दर्द न हो ।
काटो पे चलते - चलते
थक चुके हे अब
रोशनी की उम्मीद मै
पता नही कीतने घरे
अंधेरो में घेर रहे है खुदको ।
अब तो ये काटो पे
चलने वाले पैर
कोई गुलाब की पंखु टी...