कड़वा सच,,
इस समाज का एक कड़वा सच है कि
गलती हर बार लड़की की ही होती है,,
उसके साथ कुछ गलत हुआ,
तो गुनहगार भी वही ठहराई जाती है,,
क्यों?
क्या उसने खुद से अपनी आबरू लुटवाने की मांग की थी?
अगर एक औरत प्रताड़ित होती है,
अगर मर्द उस पर हाथ उठाता है,
तो भी गलती उसी औरत की मानी जाती है,,
और यह कहने वाली भी अक्सर एक औरत ही होती है,,
वाकई, गलती तो एक औरत की ही है,,
मगर उसकी गलती यह नहीं कि
उसने छोटे कपड़े पहने थे,
या देर रात घर से निकली थी,,
उसकी सजने-संवरने की चाह गलती नहीं है,,
गलती है कि जब बेटे ने बहू या बेटी पर हाथ उठाया,
तो उसने यह नहीं...
गलती हर बार लड़की की ही होती है,,
उसके साथ कुछ गलत हुआ,
तो गुनहगार भी वही ठहराई जाती है,,
क्यों?
क्या उसने खुद से अपनी आबरू लुटवाने की मांग की थी?
अगर एक औरत प्रताड़ित होती है,
अगर मर्द उस पर हाथ उठाता है,
तो भी गलती उसी औरत की मानी जाती है,,
और यह कहने वाली भी अक्सर एक औरत ही होती है,,
वाकई, गलती तो एक औरत की ही है,,
मगर उसकी गलती यह नहीं कि
उसने छोटे कपड़े पहने थे,
या देर रात घर से निकली थी,,
उसकी सजने-संवरने की चाह गलती नहीं है,,
गलती है कि जब बेटे ने बहू या बेटी पर हाथ उठाया,
तो उसने यह नहीं...