...

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( किसी ने क्या खूब कहा है )

"कलम" से नजाने कितने दर्द लिखकर सजाये गये होंगे
झूठी हँसी पर नजाने कितने अश्क छुपाये गये होंगे

मंदिरो में नजाने कितने मन्नतों के धागें बांधे गये होंगे
इन आशाओं में नजाने कितने के दिल बहलाये गये होंगे

इन महफिलों का शोर कब खामोशी...