परिस्थितिय
मन मारते-मारते पता नही जिंदगी कब feeling less हो गई, जिस उम्र को जी भर जीने की चाह थी, उस उम्र से ही नफरत हो गई...
जैसा सोचा था वैसा कुछ भी नही हुआ, मेरे सारे ख्वाब ख्वाहिश और वो सपनें सब कुछ अधूरे रह गए, सब्र करते-करते हम खुद ही अंदर से बिखर गए...
एक वक़्त था मेरा भी मन बहुत चंचल हुआ करता था, सब कुछ पा लेने की...
जैसा सोचा था वैसा कुछ भी नही हुआ, मेरे सारे ख्वाब ख्वाहिश और वो सपनें सब कुछ अधूरे रह गए, सब्र करते-करते हम खुद ही अंदर से बिखर गए...
एक वक़्त था मेरा भी मन बहुत चंचल हुआ करता था, सब कुछ पा लेने की...