...

9 views

न्याय मांगती है।
चीख चीख कर‌ मेरा स्वाभिमान
मुझसे न्याय मांग रहा है ।
बहुत सहे बहुत हो गया हाथ पर हाथ धरे
अब इस दुनिया में जंग का ऐलान मांग रहा है।
दुसरे का खुशियों और इज्ज़त का ख्यालों
के खातिर दफ़न जो ज़ख्म वो आवाज़ मांग रहा है।
बारिश से गले मिलकर आंसू जो रोई
वो लम्हा अब मुझसे आज़ादी मांग रहा है।
सालों पहले जो घटी उसे भूला नहीं बस
आंख बंद कर लिया है जो अब उजाला मांग है।
वफ़ा कर रहे हम जो बेवफा रिश्तों में,
मेरी कमजोरी है या रहम दिल है हस्ती क्या है
मेरा आत्मसम्मान सवालों का जबाब मांग रहा है।

© Sunita barnwal