...

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" आशियाना "
नया पुकारे, पुराना छूटता नहीं ...
ख़्वाबों का आशियाना ! ढेहता दिखे , पर टूटता नहीं !!

नया गुलिस्तां ! रंग भी दूं, पुरानी सियाही से कहीं ...
ख़्वाबों का आशियाना ! क्यों, साथ जाने को उठता नहीं !!

यार ! पलायन कर गए, नई दिशाओं में कई ...
ख़्वाबों का आशियाना ! उनसे भी, पहले सा बनता नहीं !!

गमगीन थे यहाँ, गमगीन हैं वहाँ ...
क्यों, ख़्वाब-ए-उदासी उनका ! आशियां नया, ढूंढता नहीं !!

चल छोड़ ! क्यों छेड़े है, दर्द पुराना किसी का सुखविंदर ...
तुझ्से भी तो ! आशियां पुराना, अबतक छूटता नहीं !!

© Sukhwinder

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