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दिल का दीप जलाया
तू याद आई तो याद आया ।
मुझ पर है तेरी याद का साया।।
जितनी अच्छी लगी तू मुझको ।
उतना मुझको कोई ना भाया।।
कभी कभी रोया हूं याद में ।
कभी-कभी हूं मैं मुस्काया।।
सब लाए दुनिया की बातें ।
खबर तेरी कोई ना लाया म।।
मेरी तो धन दौलत तू है।
मुझको नहीं चाहिए माया ।।
मैंने उसको भी न बताया।
मैंने कितना अश्क बहाया।
किससे शादी करूं जो पूछा।
दिल ने तेरा नाम बताया ।।
जहां कहीं अंधियारा देखा।
हमने दिल का दीप जलाया ।।
इतना ही काफी है मुझको।
उसने अपने दिल में बसाया।।
जिसको हमने रोता देखा ।
गले लगाकर उसे चुपाया।।
© राम अवतार "राम"
मुझ पर है तेरी याद का साया।।
जितनी अच्छी लगी तू मुझको ।
उतना मुझको कोई ना भाया।।
कभी कभी रोया हूं याद में ।
कभी-कभी हूं मैं मुस्काया।।
सब लाए दुनिया की बातें ।
खबर तेरी कोई ना लाया म।।
मेरी तो धन दौलत तू है।
मुझको नहीं चाहिए माया ।।
मैंने उसको भी न बताया।
मैंने कितना अश्क बहाया।
किससे शादी करूं जो पूछा।
दिल ने तेरा नाम बताया ।।
जहां कहीं अंधियारा देखा।
हमने दिल का दीप जलाया ।।
इतना ही काफी है मुझको।
उसने अपने दिल में बसाया।।
जिसको हमने रोता देखा ।
गले लगाकर उसे चुपाया।।
© राम अवतार "राम"
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