...

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नारी ही क्यों हारी है ?
नौ महीनां तो पेट मांय ढौवां,
पछ प्रसव पीड़ झिलावो हो।
एक दिन मोट्यार हो ज्यावो,
पाछैं म्हां पर हाथ उठावो हो ?

पैली तो घर-बार छुड़ा द्यो,
हाथ पकड़ कर ल्यावोे हो।
बो पल्लो हो या सांकळ ही,
थे म्हां पर लाठ्याॅं बावो हो ?

वनवास राम री किस्मत ही,
सीता क्यों जंगळ छाणै ही ?
धोबी री बात सुण तज देसीं,
बा पहल्याॅं थोड़ी जाणै ही ?

भाई हुवे तो लिछमण जस्यो,
ओर आ बात भी सांची...