...

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ज़रूरी है…!!!!
ज़िंदगियों के बाज़ार में….
टूटना भी है, बिखरना भी है, लेकिन फिर ज़िंदगी को ज़िंदगी के लिए सवाँरना ज़रूरी है,
किसी की जीत के लिए किसी का हारना जरूरी है।।
इमारत का एक दिन ढहना ज़रूरी है….
गर मोहब्बत हो एकतरफ़ा तो दर्दों को सहना जरूरी है।।
रोशन चिरागों के तले अंधेरा होना ज़रूरी है….
अंधेरी रातों का सवेरा होना जरूरी है।।
कभी-कभी दो दिलों के दरमियाँ फ़ासलें का मंज़र होना ज़रूरी है….
जब अंतर्मन में तूफान उठ रहा हो तो आंखों का समंदर होना ज़रूरी है।।
ज़िंदगी में ज़िंदगी जीने के लिए वजह होना ज़रूरी है….
मोहब्बत हो तो दिल में उसके लिए जगह होना ज़रूरी है।।
आफताब(रौशनी) और निशा(अंधकार) की जंग होना ज़रूरी है….
चांद का रात के संग होना ज़रूरी है।।
जहां पैगाम- ए- इश्क की बात आए तो बातों ही बातों में उसका ज़िकर आना ज़रूरी है….
जब ख्वाब टूट कर बिखर जाए तो दिल को सच्चाई से रूबरू कराना ज़रूरी है।।
मोहब्बत का पैगाम देते हैं जो महफ़िल में, उस मोहब्बत का अनंत होना ज़रूरी है….
रिश्तो को निभाने के लिए उनका जीवन्त होना ज़रूरी है….
एक सफ़र की शुरुआत होकर उसका अंत होना जरूरी है।।
परिंदों का शाम होते ही शाखों पर आना ज़रूरी है….
और ज़िंदगी है रब का खूबसूरत- सा तोहफ़ा इसीलिए जिंदगी में जिंदगी भर मुस्कुराना ज़रूरी है….!!!!!
-ज्योति खारी