प्रकृति
प्रकृति की गोद....
माँ की गोद जिसमें बच्चा जन्म लेते ही रहने लगता है उसे वही संसार लगता है एक आरामदायक दुनिया जहाँ सब कुछ लुटा देती है माँ उसको पालने मैं.... अच्छा इंसान बनाने मैं..... और जिंदगी भर हम उसका कर्ज निभाते हैं.. माँ पे जरा सी आँच आने पर हम जान दे देते है.... तो क्या प्रकृति जिसकी गोद मैं जन्म लिए है.... बड़े होने पर उससे खिलवाड़ करे.... प्रकृति मैं हर चीज का संतुलन है पर हम अपने स्वार्थ के लिए असंतुलित करते जा रहे हैं जिसके दुष्प्रभाव सभी देख रहे है या देखेंगे.............
एक भंवरा एक जंगल...
माँ की गोद जिसमें बच्चा जन्म लेते ही रहने लगता है उसे वही संसार लगता है एक आरामदायक दुनिया जहाँ सब कुछ लुटा देती है माँ उसको पालने मैं.... अच्छा इंसान बनाने मैं..... और जिंदगी भर हम उसका कर्ज निभाते हैं.. माँ पे जरा सी आँच आने पर हम जान दे देते है.... तो क्या प्रकृति जिसकी गोद मैं जन्म लिए है.... बड़े होने पर उससे खिलवाड़ करे.... प्रकृति मैं हर चीज का संतुलन है पर हम अपने स्वार्थ के लिए असंतुलित करते जा रहे हैं जिसके दुष्प्रभाव सभी देख रहे है या देखेंगे.............
एक भंवरा एक जंगल...