...

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"तुम ही हो"!
आज किताब पे जमी धूल किसी ने हटाई है
मेरी मुस्कुराहटों में खुशबू आई है
तुमने हंसकर जो गले लगाया एहसास कुछ नया पाया
उम्मीद नहीं एहसास जरूर है
तुझे क्या पता है इस दिल के करीब बस तू है
ना जाने कौन सी बात कही तुमने जो मुझे अच्छी लगी रोती आंखों को ठंडक सी मिली, हम कब मिलेंगे यह कह कर तुम्हें सताऊंगी नहीं, पर जल्द ही मिलेंगे ये कहकर सब कुछ कह जाऊंगी तुम सोच नहीं सकते
दूर रहकर भी तुम्हारे सबसे करीब रहूंगी जब देखोगे नीचे दिल में हंसती देखूंगी
मै वो मरहम होंगी जो तुम्हारे दर्द को
सहलाऊंगी
मैं वो ठंडक होंगे जो गर्मी में राहत पहुंच आऊंगी, मैं प्रश्न बनकर कभी तुम्हारे सामने ना आऊंगी
हमेशा जवाबों में ही मुझे पाओगे, हंसती आंखों से निहारते जाओगे
तुम ही हो यह कहना आसान नहीं होता हर अरमान दिल में मेहमान नहीं होता
कुछ रह जाते हैं जो जिंदगी भर की छाप छोड़ जाते हैं
तुम ही हो यह कहने का एहसास दिलाते हैं!