अंत अंत और सिर्फ अंत
#WritcoPoemChallenge
अंत अंत और सिर्फ अंत लिखा जा रहा
प्रकृति का हमारे द्वारा
हमारा प्रकृति के द्वारा
ना बख्शा तुमने माँ की छवि को
ना बख्शा तुमने माँ की छाया को
कुछ करम करके अच्छे अब तो
सुखी कर दो इस माँ की काया को
ना जाने किस हैवानियतता का पाठ पढ़ाया जा रहा
अंत अंत और बस अंत लिखा जा रहा
छीनी जा रही जिदंगीयाँ यहाँ पर
छीनी जा रही बंदगीयाँ यहाँ पर
हर तरफ दबदबा तुम्हारा फैलाया जा रहा
अंत अंत और बस अंत लिखा जा रहा...
अंत अंत और सिर्फ अंत लिखा जा रहा
प्रकृति का हमारे द्वारा
हमारा प्रकृति के द्वारा
ना बख्शा तुमने माँ की छवि को
ना बख्शा तुमने माँ की छाया को
कुछ करम करके अच्छे अब तो
सुखी कर दो इस माँ की काया को
ना जाने किस हैवानियतता का पाठ पढ़ाया जा रहा
अंत अंत और बस अंत लिखा जा रहा
छीनी जा रही जिदंगीयाँ यहाँ पर
छीनी जा रही बंदगीयाँ यहाँ पर
हर तरफ दबदबा तुम्हारा फैलाया जा रहा
अंत अंत और बस अंत लिखा जा रहा...