...

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सुनो...
सुनो,
जब तुम मुझे यूँ
अपलक निहारते हो ना
मेरी मंद मुस्कान
स्थायित्व ले लेती है
कपोल गुलाबी वर्ण से
रक्तिम हो जाते हैं
लाज के बोझ से
पलकें झुक झुक जाती हैं
तभी तर्जनी से तुम्हारा
मुझे स्पर्श करना
हृदय के नभ पर
आच्छादित उन्माद के मेघों में
मानो तड़ित बन
कम्पित कर जाता है अंतर्मन
बरबस नयन उलझ जाते हैं
तुम्हारे मद भरे नयनों से
और मैं स्वयं को भूल
उनमें खो जाती हूँ
हमेशा की तरह😍
© दीp
#अपलक #लाज #उन्माद