एक दिन एक छोटा प्यारा
एक दिन एक छोटा प्यारा,
बिल्ली का बच्चा आ पहुंचा,
पैर में बंधा एक राखी का सूत,
पता नहीं कहा से आया था वो क्यूट।।
डरा सहमा सा था कुछ,
कुत्तों से जान बचा के गया था छुप,
फिर उसको अपने पास बुलाया,
पर अब भी था वो घबराया।
उसके आगे रोटी का टुकड़ा था डाला,
आखिर उसने शुरू किया खाना।
फिर हमने सूत देखा और अनुमान लगाया,
मानों अपने मालिक से हो बिछड़ गया,
या हो सकता है मालिक ने मार भगाया।।
एक दिन एक छोटा प्यारा,
बिल्ली का बच्चा आ पहुंचा,
पैर में बंधा एक राखी का सूत,
पता नहीं कहा से आया था वो क्यूट।।
और फिर हमने उसकी राखी खोली,
अब निकली थी उसके मुंह से बोली।
मानों अब उसने लिया था हमको जान,
नहीं पहुंचाएंगे ये लोग मुझे नुकसान।
फिर मैने उसको गोदी में उठाया,
और उसे प्यार से सहलाया ।।
एक दिन एक छोटा प्यारा,
बिल्ली का बच्चा आ पहुंचा,
पैर में बंधा एक राखी का सूत,
पता नहीं कहा से आया था वो क्यूट।।
उसकी अमानत राखी का सूत,
रख दिया था संभाल के खूब।
अगर कोई भुला भटका इसकी ढूंढ को आए,
उसको उसका यह प्यारा फिर लौटाया जाए।
दिन बीते महीने बीते पर कोई न था आया,
और अब बन गया था वो सबका लाडला।
पुषी था उसका नाम,
खेलना कूदना था उसका काम,
नए नए करतब खूब था दिखलाता
फिर इतराता और इठलाता,
और सबके मन को था वो भाता।।
एक दिन एक छोटा प्यारा,
बिल्ली का बच्चा आ पहुंचा,
पैर में बंधा एक राखी का सूत,
पता नहीं कहा से आया था वो क्यूट।।
अब वक्त है गुजर गया,
वो छोटा और प्यारा सा,
हो गया है और भी बड़ा,
और प्यारा, और प्यारा।।
© shi_writes