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वो कॉलेज के दिन भी क्या दिन थे
नादानी नादानी में कर लेते है हम बहुत सारी शरारतें
फिर सर हमारे निकाल देगे कॉलेज से इस बात से हमे डराते
जब पड़ा रहे हो सर आगे
हम चुपके से पता नही कहा कहा चल दौड़ भागे
जब सर कहते अब में जो पड़ा रहा हुं ध्यान से पड़ना
तब मन में आते थे कुछ ऐसे उच्च विचार
चलो खाते है दोस्त की टिफिन का अचार
जब खींचते थे बाजू वाली दोस्त के बाल
तब आता था बड़ा मजा
यह हरकत करने के बाद आता था याद इस बात की भी देगे हमारे प्यारे सर सजा
इसीलिए कहती हु
लौट कर आएगा नहीं पर साथ बिता ये पल याद आएंगा
कभी हंस पड़ेंगे बिते पल याद करके कभी बड़ा रुलाएगा

ढूंढेंगे सभी को दोस्तों को सोशल मीडिया पर ,फिर देखना कभी फेसबुक पर भी दोस्तों का जमावड़ा लगा जाएगा

चाहे कितना भी कर ले बात फोन पर इक दूजे से हम
पर देखना कालेज का वो कैम्पस बड़ा ही याद आएगा

ये लास्ट दिन है इस पल को खूल कर जी लो मेरे यारों
इक बार जो गया ये कालेज का दिन लौट कर नहीं आएगा