...

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प्यार .....!
" Pehli najar mein kaisa jaadu kar diya "

अगर ऐसा तुम कह रहे हो तोह तुम गलत हो सकते हो ..

किसी की आंखों में देखकर तुम खुदको खो जाते हो तो
जरूरी नहीं की वो इश्क ही हो ...

अगर तुम सामने वाले इनसान को समझ पाते हो
तो इसका मतलब ये नही की वो प्यार है ...

सालगीरा मना रहे हो खुशी के लिए हर एक चीज कर रहे हो पर वो तुम्हे मिल नहीं पा रही तो समझ लो तुम खुदको कही खो रहे हो ...

बस साथ मे यादें रखने के लिए तुम तस्वीरों का सहारा ले रहे हो तो समझ लो तुम भटक रहे हो क्योंकि मोहब्बत को फिल्टर से सेव नहीं तो उस लम्हे में जिया जाता है...

और तुम इस सब चीजों को इश्क कह रहे हो तो तुम गलत हो सकते हो ...

हां पर अगर जिस्मों में उलझने से पहले तुम उसकी जुल्फों में उलझना चाहते हो और अगर वह बेखौफ अपना बचपना तुम्हारे सामने जाया कर लेती ...

और अगर उसके कपड़ों के बेपर्दा होने से पहले तुमने अपने सारे राज खोल दिए और उसने भी सारे डर का जिक्र तुम्हारे सामने किया ...

और अगर उसका हर एक आंसू तुम्हारे कमीज पर बहता है और तुम्हारी मुस्कुराहट के पीछे उसका बचपना हो !

तू भाईजान  मुबारक हो तुम मोहब्बत मे फस गए ...

© Radha