...

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समय बडा बलवान
मै समझ सकता हू
वो उम्र तुम्हारी
जब किशोरावस्था
जाने ही वाली थी
और सोलह बसंत लिए
तुम पर यौवन ने
दस्तक दी होगी..
आज की आंखे
तेरी उस अवस्था का दर्पण है
मै देखता हूँ तुम्हे कल मे भी
आज मे भी.. और
उम्र मेरी बची तो
तो आनेवाले समय मे भी
देखूंगा..
बहुत तिलस्मी है तेरी आंखे..
आज भी..
न जाने तब...
क्या कमाल करती होगी... ??
दो घडी के लिए भी..
टिकती होगी
किसीकी नजरे अगर तुमपर
वो राही फिर
न पहुँच पाता होगा..
अपनी मंजिल पर.. ...