"बेटियाँ "
“बेटियां चावल उछाल विदा हो जाती हैं,”
ये भी किसी तुलसी पूजा से कम नहीं होती..
बेटियाँ चावल उछाल
बिना पलटे,
महावर लगे कदमों से विदा हो जाती हैं!!
छोड़ जाती है बुक शेल्फ में,
कवर पर अपना नाम लिखी किताबें ।
दीवार पर टंगी खूबसूरत आइल पेंटिंग के
एक कोने पर लिखा अपना नाम!!
खामोशी से नर्म एहसासों की निशानियां,
छोड़ जाती है ......
“बेटियाँ विदा हो जाती हैं”
रसोई में नए फैशन की क्राकरी खरीद,
अपने पसंद की सलीके से बैठक सजा,
अलमारियों में आउट डेटेड ड्रेस छोड़,
तमाम नयी खरीदादारी सूटकेस में ले,
मन आँगन की तुलसी में दबा जाती हैं ...
“बेटियाँ विदा हो जाती हैं!!”
सूने सूने कमरों में उनका स्पर्श,
पूजा घर की रंगोली में उंगलियों की महक,
बिरहन दीवारों पर बचपन की निशानियाँ,
घर आँगन पनीली आँखों में भर,...
ये भी किसी तुलसी पूजा से कम नहीं होती..
बेटियाँ चावल उछाल
बिना पलटे,
महावर लगे कदमों से विदा हो जाती हैं!!
छोड़ जाती है बुक शेल्फ में,
कवर पर अपना नाम लिखी किताबें ।
दीवार पर टंगी खूबसूरत आइल पेंटिंग के
एक कोने पर लिखा अपना नाम!!
खामोशी से नर्म एहसासों की निशानियां,
छोड़ जाती है ......
“बेटियाँ विदा हो जाती हैं”
रसोई में नए फैशन की क्राकरी खरीद,
अपने पसंद की सलीके से बैठक सजा,
अलमारियों में आउट डेटेड ड्रेस छोड़,
तमाम नयी खरीदादारी सूटकेस में ले,
मन आँगन की तुलसी में दबा जाती हैं ...
“बेटियाँ विदा हो जाती हैं!!”
सूने सूने कमरों में उनका स्पर्श,
पूजा घर की रंगोली में उंगलियों की महक,
बिरहन दीवारों पर बचपन की निशानियाँ,
घर आँगन पनीली आँखों में भर,...